क्षमा का भाव अपनाओ, जीवन सुखद और सुंदर बन जाएगा – साध्वी श्री गुप्ती प्रभा
जैन समाज ने श्रद्धा और उल्लास से मनाया भगवती संवत्सरी महापर्व

जैन समाज ने परम पावन भगवती संवत्सरी महापर्व का आयोजन बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ स्थानीय जैन भवन में किया। इस अवसर पर साध्वी श्री गुप्ती प्रभा जी सहित अन्य साध्वी वृंद ने प्रवचन, वाचन और भक्ति गीतिकाओं के माध्यम से समाजजनों को धर्ममय जीवन जीने की प्रेरणा दी।
“क्षमा से सजता है जीवन” – साध्वी श्री गुप्ती प्रभा
साध्वी श्री गुप्ती प्रभा जी ने अपने मंगल प्रवचन में बताया कि “दुनिया जिस दिन क्षमा को साकार कर लेगी, एक-दूसरे को क्षमा करके आगे बढ़ना सीख जाएगी, उस दिन धरती पर केवल स्नेह की छाँव होगी, खुशहाली, और सौहार्द और ममता का वास होगा।” उन्होंने कहा कि संवत्सरी का पर्व आत्मा का श्रृंगार करने का अवसर है। जो व्यक्ति अंतर्मुखी होकर आत्मावलोकन करता है, वही वास्तव में सुखी और सफल जीवन जीता है। भगवान महावीर का अनुयायी वही कहलाता है, जो कठिनाइयों पर धैर्य और संयम से विजय प्राप्त करे।

भगवान महावीर के आदर्शों का स्मरण
कार्यक्रम के दौरान साध्वी श्री भावितयशा जी ने भगवान महावीर स्वामी के जन्म से लेकर दीक्षा तक का वाचन किया और गणधरवाद व जैनाचार्यों की परंपरा का विवेचन किया।
साध्वी श्री कुसुमलता जी ने भगवान महावीर की गीतिका प्रस्तुत करते हुए अपने विचार रखे, वहीं साध्वी श्री मौलिकयशा जी ने भगवान महावीर के साधना काल का वर्णन कर उपस्थितजनों को उनके आदर्श जीवन में उतारने की प्रेरणा दी।

केवलज्ञान से निर्वाण तक का इतिहास
साध्वी श्री गुप्ती प्रभा जी ने भगवान महावीर स्वामी के केवलज्ञान से लेकर निर्वाण तक की संपूर्ण गाथा सुनाई और विस्तार से संवत्सरी पर्व का महत्व समझाया। उन्होंने तेरापंथ के आचार्यों के इतिहास का भी उल्लेख करते हुए समाज को तेरापंथ की महत्ता से अवगत कराया।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
संवत्सरी महापर्व पर जैन भवन श्रद्धालुओं की भीड़ से खचाखच भरा रहा। सभी ने साध्वी श्री के प्रवचन से धर्मलाभ प्राप्त किया। अंत में संघ गान के पश्चात साध्वी श्री के मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।