सावन की फुहारों के बीच जब लहरिया में सजी महिलाएं गीतों की मिठास और झूलों की रुमानी झुनझुनाहट के साथ कुचामन सिटी के शिव मंदिर परिसर में एक साथ हुईं, तो पूरा माहौल पारंपरिक उल्लास में डूब गया। अवसर था — कुमावत महिला मंडल की ओर से आयोजित पारंपरिक सांस्कृतिक उत्सव “रंगीलो सावन” का, जिसमें महिलाओं ने अपनी कला, भावनाओं और उल्लास से एक रंगारंग संसार रच दिया।
बारिश में भीगते हुए भी नहीं थमा उत्साह
इस कार्यक्रम में कुमावत समाज की सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया। तेज बारिश के बावजूद उनका उत्साह तनिक भी नहीं डगमगाया। पारंपरिक लहरिया परिधानों में सजी महिलाएं न केवल मंच पर बल्कि पूरे परिसर में सावन के लोकगीतों, नृत्यों और झूलों के माध्यम से जीवन के उल्लास को महसूस करती दिखीं। मोबाइल पर रील बनाकर इन लम्हों को कैद करना भी खासा लोकप्रिय रहा।

अध्यक्ष अन्नपूर्णा कुमावत ने दिया परंपरा और एकता पर जोर
महिला मंडल अध्यक्ष अन्नपूर्णा कुमावत ने इस मौके पर कहा, “आज के दौर में जब लोग परंपराओं से कटते जा रहे हैं, ऐसे आयोजनों का महत्व और बढ़ जाता है। ‘रंगीलो सावन’ जैसे आयोजन महिलाओं को एकता, भाईचारे और संस्कृति से जोड़ने का काम करते हैं। यह पीढ़ियों को जोड़ने वाला पर्व है, जिसमें बुजुर्गों से लेकर युवतियों तक हर कोई अपनी जड़ों से जुड़ता है।”
महिला नेतृत्व की प्रेरक उपस्थिति
सचिव संजू जेठीवाल ने कहा, “हमारा उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है। जब महिलाएं खुद आगे आकर ऐसे आयोजनों का संचालन करती हैं, तो समाज में जागरूकता और सशक्तिकरण दोनों का संदेश जाता है।”

उपाध्यक्ष मीरा बारवाल ने कहा, “यह आयोजन महिलाओं को आत्मप्रकाश देने वाला मंच है। यहां हर उम्र की महिला खुलकर अपने हुनर और भावनाओं को प्रकट कर सकती है। सावन का उत्सव केवल मौसम नहीं, बल्कि स्त्री मन का उत्सव भी है।”
कोषाध्यक्ष संजू ने बताया, “इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए कई हफ्तों की तैयारी की गई। हमने स्थानीय संसाधनों से ही सब कुछ संयोजित किया ताकि आत्मनिर्भरता और एकजुटता का संदेश जाए।”

बुजुर्गों की भागीदारी बनी विशेष आकर्षण
कार्यक्रम में वरिष्ठ महिलाओं के लिए विशेष प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें 65 वर्षीय श्रीमती मुन्नी देवी ने शानदार प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी भाव-भंगिमाएं और उत्साह ने यह साबित कर दिया कि उम्र केवल एक संख्या है। वे इस प्रतियोगिता की विजेता बनीं और सबसे अधिक तालियां बटोरीं।
युवा महिलाओं ने दिखाई कला और प्रतिभा
लोकगीत, नृत्य और रंगोली जैसे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अंजू, प्रिया और रीना ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिया। दर्शकों ने खड़े होकर तालियों से उनका अभिनंदन किया।

संचालन और समन्वय में दिखी महिला शक्ति की झलक
इस भव्य आयोजन की सफलता में महिला मंडल की पूरी कार्यकारिणी का योगदान रहा। कार्यक्रम में विशेष रूप से पद्मा घोड़ेला (संचार मंत्री), कौशल्या कुमावत, अनीता, ललिता, कांता, मेघा, रीना, पुष्पा, मंजू आदि सक्रिय रहीं। सभी ने कार्यक्रम के विभिन्न हिस्सों की जिम्मेदारी संभाली और आयोजन को उत्कृष्टता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।

सावन की फुहारों में सजी स्मृतियों की पोटली
“रंगीलो सावन” कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि जब परंपरा, संस्कृति और स्त्री सशक्तिकरण एक साथ आते हैं, तो उत्सव केवल मनोरंजन नहीं बल्कि सामाजिक चेतना का पर्व बन जाता है। यह आयोजन लंबे समय तक शहर की स्मृतियों में महकेगा — ठीक वैसे ही जैसे सावन के झूले पेड़ से नहीं, मन से जुड़ते हैं।