पेंशनर्स के अधिकारों की रक्षा के लिए डीडवाना में प्रदर्शन, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा


राजस्थान पेंशनर्स समाज, जयपुर के निर्देशानुसार पेंशनर्स समाज की डीडवाना-कुचामन जिला शाखा द्वारा आज एक संगठित प्रयास के तहत अपने हितों की रक्षा के लिए आवाज बुलंद की गई। सुबह 11 बजे सैकड़ों पेंशनर्स पुरानी पंचायत समिति परिसर में एकत्रित हुए और वहां से रैली के रूप में जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक ज्ञापन अतिरिक्त जिला कलेक्टर महेंद्र मीणा को सौंपा गया।

पेंशनर्स समाज के जिला प्रवक्ता मनवर अली उस्मानी ने जानकारी देते हुए बताया कि यह ज्ञापन केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित पेंशन विधेयक के विरोध में सौंपा गया है, जिसमें 1 जनवरी 2006 और 1 जनवरी 2016 से पहले और बाद के पेंशनर्स के बीच संभावित भेदभाव की आशंका व्यक्त की गई है।

ज्ञापन सौंपने के दौरान पेंशनर्स समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी सभाध्यक्ष भंवरलाल वर्मा, कार्यवाहक जिलाध्यक्ष मुंशी खान मोयल, तथा जिला महामंत्री किशना राम जांगिड़ प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। इनके नेतृत्व में पेंशनर्स ने एकजुटता दिखाते हुए सरकार से अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा की मांग की।

इस अवसर पर अमरू खान गोड़, ताराचंद सेन, किशोर कुमार राखेचा, हुक्मीचंद शर्मा, अब्दुल हमीद परिहार, श्रीकिशन जांगिड़, मोती सिंह, नानूराम चायल, महेश गोड़, नानूराम तुनवाल, दिनेश गोड़, छीतर मल आसेरी, जीवनराम सहित अनेक पेंशनर्स मौजूद थे।

अब्दुल हमीद परिहार, ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए विधेयक से “समान पेंशन, समान अधिकार” की अवधारणा पर खतरा मंडरा रहा है। सातवें वेतन आयोग के तहत जो समानता स्थापित की गई थी, वह इस विधेयक के लागू होने से समाप्त हो सकती है। साथ ही यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए निर्णयों की भावना के भी विपरीत प्रतीत होता है।

कार्यवाहक जिलाध्यक्ष मुंशी खान मोयल ने कहा कि कि केंद्र सरकार ने विधेयक में उन बिंदुओं का उल्लेख नहीं किया है जिनसे यह सुनिश्चित हो सके कि 1.1.16 से पहले और बाद के पेंशनर्स के बीच कोई आर्थिक भेद नहीं होगा, और आने वाले वेतन आयोगों में भी उनके साथ अन्याय नहीं किया जाएगा।

सभाध्यक्ष भंवरलाल वर्मा, ने बताया कि भारत सरकार के केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत पेंशन को “अधिकार और संपत्ति” की श्रेणी में रखा गया है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 300-A के तहत संरक्षित है। इसलिए पेंशनर्स समाज ने अपने ज्ञापन में मांग की है कि इस प्रस्तावित विधेयक को वापस लिया जाए या उसमें आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि कोई भेदभाव की स्थिति उत्पन्न न हो।

अंत में मनवर अली उस्मानी, जिला प्रवक्ता, पेंशनर्स समाज डीडवाना-कुचामन ने कहा कि यदि सरकार ने इस विधेयक पर पुनर्विचार नहीं किया तो पेंशनर्स समाज राज्यव्यापी आंदोलन करने को विवश होगा।

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