कर्ज़, दबाव और बेबसी ने निगल लिया पूरा परिवार: मां-बेटी-बेटे ने एक साथ मालगाड़ी के आगे कूदकर दी जान, 13 पन्नों का सुसाइड नोट हुआ बरामद


नागौर जिले के डेगाना कस्बे में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां आर्थिक तंगी, कर्ज के बोझ और सामाजिक दबाव से टूटे एक ही परिवार के तीन सदस्यों ने सामूहिक रूप से खुदकुशी कर ली। बुधवार रात को डेगाना-गच्छीपुरा रेलवे ट्रैक पर मां, बेटा और बेटी ने मालगाड़ी के सामने छलांग लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली।

घटना चांदारुण रेलवे फाटक से कुछ दूरी पर घटी, जहां शवों की हालत बेहद वीभत्स थी। दर्दनाक हादसे में जहां मां और बेटे का सिर ही धड़ से कट कर अलग हो गया। मौके पर डेगाना जीआरपी रेलवे पुलिस प्रभारी पुनाराम नायक मय जाब्ता मौके पर पहुंचे, तो वहीं आरपीएफ पुलिस व डेगाना पुलिस थाने को भी सूचना दी गई। सिविल पुलिस का मामला होने पर डेगाना पुलिस ने तीनों के शव को रेलवे ट्रैक से उप जिला अस्पताल में लाकर मोर्चरी में रखा गया। मिले आधार कार्ड और सुसाइड नोट को पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया। तो वहीं सूचना के आधार पर महिला के पति, उनके परिजनों को फोन किया गया है।

मरने वालों की पहचान:

  • शारदा बुडानिया (43 वर्ष) – पत्नी विजयपाल,
  • निखिल बुडानिया (22 वर्ष) – पुत्र,
  • अंशु बुडानिया (16 वर्ष) – पुत्री,
    तीनों मूल निवासी थिरपाली छोटी, जिला चूरू हैं, जो हाल ही में जयपुर में रह रहे थे।

13 पन्नों का सुसाइड नोट: खोले जिंदगी की बेबसी के राज
पुलिस को घटनास्थल से एक लंबा सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें परिवार ने कई नामों का खुलासा किया है और अपने कष्टों का विवरण दिया है।नोट में आर्थिक तंगी, कर्ज, ऊंचे ब्याज दर पर उधारी, मकान व वाहन की किस्तें, और समाज के उपेक्षात्मक व्यवहार जैसे कारणों को आत्महत्या की वजह बताया गया है।

सुसाइड नोट के अनुसार, परिवार लंबे समय से मानसिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक परेशान चल रहा था। यह भी सामने आया है कि कई लोग लगातार पैसे वसूलने के लिए दबाव बना रहे थे।सुसाइड नोट में कुछ व्यक्तियों के नाम भी दर्ज हैं, जिनसे परिवार ने कर्ज लिया था और जो लंबे समय से पैसे की वसूली के लिए दबाव बना रहे थे। यह नोट जांच के लिए पुलिस के कब्जे में ले लिया गया है।

जांच में जुटी पुलिस, कई बड़े खुलासे संभव
सीआई हरीश कुमार सांखला के अनुसार, सुसाइड नोट के आधार पर जांच शुरू कर दी गई है और जिन लोगों के नाम इसमें दर्ज हैं, उनसे पूछताछ की जाएगी। शवों का पोस्टमार्टम कर उन्हें महिला के पीहर पक्ष को सौंप दिया गया है।

समाज को झकझोर देने वाली यह घटना कई सवाल खड़े करती है:
आखिर कब तक कर्ज के बोझ तले लोग दम तोड़ते रहेंगे?
कब समाज में संवेदनशीलता और मदद की भावना जागेगी?
और क्या प्रशासन समय रहते ऐसे परिवारों को सहारा दे पाएगा?

क्या कहते हैं सामाजिक विशेषज्ञ?

सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि यह घटना न सिर्फ आर्थिक तंगी की मार झेल रहे परिवारों की पीड़ा को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि समाज में संवेदनशीलता और मदद की भावना का अभाव किस तरह जिंदगियों को निगल रहा है।




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