मुकेश नाइट में गूंजे अमर नगमे, सुरों से सजी संध्या में झूमे श्रोता

मशहूर गायक कलाकार स्वर्गीय मुकेश चंद्र माथुर की पुण्यतिथि पर कुचामन के भारतीय संगीत सदन में श्रद्धांजलि स्वरूप संगीतमय संध्या मुकेश नाइट का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर नगर परिषद सभापति सुरेश सिखवाल मुख्य अतिथि रहे, जिनका स्वागत संगीत सदन की कार्यकारिणी व स्थानीय संगीत प्रेमियों ने उत्साहपूर्वक किया।

मां सरस्वती की अराधना से हुआ शुभारंभ

कार्यक्रम का शुभारंभ अध्यक्ष घनश्याम गौड़ और सभापति सिखवाल ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद विनोद आचार्य और भानु प्रकाश औदीच्य ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत कर संध्या का माहौल भक्तिमय कर दिया।

गूंजे मुकेश के अमर गीत

संध्या में कलाकारों ने मुकेश के अमर गीतों को सुरों में पिरोकर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
कविता एंड ग्रुप ने “सावन का महीना” गाकर वातावरण को संगीतमय बना दिया। अभिनव दाधीच ने जब “किसी की मुस्कुराहटों पे हो” प्रस्तुत किया तो पूरे सभागार में सन्नाटा और भावनाओं की लहर दौड़ गई। प्रकाश दाधीच ने “कहीं दूर जब दिन ढल जाए” से श्रोताओं को यादों की गलियों में पहुंचा दिया।


अर्जुन राम ने “चल अकेला चल” गाकर प्रेरणादायक संदेश दिया तो ओमप्रकाश कुमावत ने “कभी कभी मेरे दिल में” से रोमांटिक रंग भर दिए। महेंद्र ने “ओ महबूबा” गाकर तालियां बटोरीं और मुकेश राजपुरोहित ने “सुहानी चांदनी रातें” से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।


इसी क्रम में असलम ने “खुशी की वो रात”, महेंद्र मिश्रा ने “ओरे ताल मिले”, मो. यूसुफ भाटी ने “मुबारक हो सबको”, अजमत मौलानी ने “आ लौट के आजा मेरे मीत”, भानूप्रकाश ने “जब कोई तुम्हारा हृदय तोड़ दे”, विक्रांत यदुवंशी ने “महबूब मेरे” और समापन में नवरत्न वाल्मीकि ने “मेरी तमन्नाओं की तकदीर” प्रस्तुत कर संध्या को अविस्मरणीय बना दिया। मंच संचालन प्रभावशाली अंदाज में अजमत मौलानी ने किया।

संस्थान का योगदान

कार्यक्रम के अध्यक्ष घनश्याम गौड़ ने कहा कि “भारतीय संगीत सदन लगातार सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा देता आ रहा है। पिछले महीने रफी नाइट का आयोजन हुआ था और अब मुकेश नाइट के जरिए हम महान गायकों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। इस तरह के आयोजन न केवल युवाओं को प्रेरित करते हैं बल्कि छिपी प्रतिभाओं को मंच भी प्रदान करते हैं।”

गायक मो. यूसुफ भाटी ने कहा कि “स्वर्गीय मुकेश हमारे जैसे कलाकारों के लिए हमेशा प्रेरणा रहे हैं। उनके गीतों को गाना अपने आप में सम्मान है और यह आयोजन उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।” वहीं व्यवस्थापक भानूप्रकाश औदीच्य ने कहा कि “मुकेश नाइट से हमें न केवल बेहतरीन संगीत सुनने को मिला बल्कि कई छिपी हुई प्रतिभाएं भी सामने आईं, जिन्हें संगीत सदन ने मंच दिया, यह काबिले तारीफ है।”

व्यवस्थापन व प्रशिक्षण गतिविधियां

कार्यक्रम के व्यवस्थापक भानु प्रकाश औदीच्य ने बताया कि इस आयोजन की सफलता का श्रेय असलम खरादी, मुकेश राजपुरोहित और यूसुफ भाटी को जाता है। उन्होंने कहा कि भारतीय संगीत सदन में वर्षभर हार्मोनियम, शास्त्रीय संगीत, कत्थक नृत्य, तबला, गिटार आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है और यहां से विद्यार्थी भातखंडे विद्यापीठ से डिग्री भी प्राप्त कर सकते हैं।

श्रद्धांजलि के सुरों में डूबा शहर

संगीत और सुरों से सजी यह संध्या श्रोताओं के लिए अविस्मरणीय रही। कभी रोमांटिक तो कभी भावनात्मक गीतों ने हर किसी को मुकेश के युग में पहुंचा दिया। कार्यक्रम की सफलता ने यह साबित कर दिया कि सुरों के सम्राट मुकेश आज भी लोगों के दिलों में उतने ही जीवित हैं जितने अपने दौर में थे।

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