माह-ए-रबीउल अव्वल का चांद नज़र आते ही मुसलमानों के दिलों में रूहानी खुशियों का आलम छा गया है। आगामी 5 सितंबर को पूरे प्रदेश में 1500वां जश्ने ईद मिलादुन्नबी अदब और मोहब्बत के साथ मनाया जाएगा। इसी सिलसिले में शेरानी आबाद और आसपास के इलाक़ों में जश्न की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं और हर गली-मोहल्ला सजने-संवरने लगा है।

हर और “नात-ए-पाक” की सदाएं गूंज रही है, घरों की छतों पर हरे झंडे लहरा रहे हैं और बाज़ारों में रंग-बिरंगी लाइटों की चमक से माहौल जन्नत-सा दिलकश दिखाई दे रहा है। हर चेहरा रौशन और हर दिल नबी-ए-पाक ﷺ की आमद की खुशी में सरशार नज़र आ रहा है।
चांद की शहादत और तारीख का ऐलान
जोधपुर में मुफ्ती-ए-राजस्थान मुफ्ती शेर मोहम्मद खान रिज़वी की सरपरस्ती में हुई बैठक में बताया गया कि 24 अगस्त को राजस्थान और उत्तर-पश्चिम भारत में मौसम खराब रहने के कारण चांद नज़र नहीं आया, मगर दक्षिण भारत के कर्नाटक सहित कई हिस्सों में चांद देखा गया और इसकी शहादतें प्राप्त हुईं।
इन शहादतों की तस्दीक़ के बाद मुंबई के मुफ्ती ने माह-ए-रबीउल अव्वल के आग़ाज़ का एलान किया और सर्वसम्मति से यह तय हुआ कि ईद मिलादुन्नबी 5 सितंबर को पूरे प्रदेश में मनाई जाएगी।

जश्न-ए-आमद-ए-रसूल: रूहानी नजारा
मिलाद-ए-मुस्तफा ﷺ के इस ऐतिहासिक जश्न में शेरानी आबाद इलाक़े का हर घर, हर गली और हर चौराहा रौशनियों से जगमगाने लगा है। बच्चों के हाथों में छोटे-छोटे झंडे, युवाओं के दिलों में नबी से इश्क़ की गर्मजोशी और बुजुर्गों के लबों पर दुरूद-ओ-सलाम की मिठास.. हर जगह बस एक ही पैग़ाम है — “मरहबा या रसूलुल्लाह ﷺ”।

इस बार का जश्न बेहद ख़ास है क्योंकि यह 1500वां जश्न है। जुलूस-ए-मोहम्मदी की तैयारी हो रही है, जिसमें हजारों लोग शरीक होकर दरूद-ओ-सलाम पढ़ेंगे और नात-ए-पाक पेश करेंगे। महफिल-ए-मिलाद में इल्म-ओ-दीन की बातें होंगी और इंसानियत व मोहब्बत का पैग़ाम फैलाया जाएगा।
आईक्यू ट्रस्ट के मुफ़्ती खालिद अयूब मिस्बाही ने जश्ने ईद मिलादुन्नबी की मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि यह 1500वां जश्न पूरे मुस्लिम जगत के लिए निहायत ही अहम है। उन्होंने अपील की कि लोग इस मौके पर ज़्यादा से ज़्यादा दुरूद शरीफ पढ़ें और नेक कामों व खिदमत-ए-खल्क़ के जरिए इस पर्व को रूहानी मायनों में सार्थक बनाएं।