श्रृद्धा और प्रेरणा का संगम: डाबड़ा में मनाई गई श्रद्धेय नारायण सिंह रेडा की 85वीं जयंती

श्री क्षत्रिय युवक संघ के तृतीय संघ प्रमुख श्रद्धेय नारायण सिंह रेडा की 85वीं जयंती समारोह डाबड़ा गांव के झूंझारजी मंदिर परिसर में श्रद्धाभाव और उत्साह के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया, जिसके पश्चात प्रार्थना का संचालन डीडवाना प्रांत प्रमुख जयसिंह सागू ने किया।

इस अवसर पर कुचामन प्रांत प्रमुख नत्थू सिंह छापड़ा ने श्रद्धेय नारायण सिंह रेडा के जीवन और योगदान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उनका जन्म 1940 में सुजानगढ़ के पास रेड़ा ग्राम में हुआ था। मात्र 10 वर्ष की उम्र में 1950 में उन्होंने बीकानेर में श्री क्षत्रिय युवक संघ के शिविर में भाग लेकर संघ से अपना जुड़ाव प्रारंभ किया। इसके पश्चात जीवनभर उन्होंने संघ के कार्यों को समर्पित करते हुए पूज्य तन सिंह जी की इच्छानुसार विभिन्न दायित्वों का निष्ठा से निर्वहन किया।

श्रद्धेय रेडा ने पूज्य तन सिंह जी के निधन के बाद लगभग दस वर्षों तक संघ प्रमुख के रूप में सेवा देते हुए संगठन को सशक्त किया और पारिवारिक भाव को मजबूत करते हुए राष्ट्र निर्माण की दिशा में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनका कार्यक्षेत्र केवल संगठन तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने सामाजिक और आध्यात्मिक साधना को एक साथ जोड़कर संघ के कार्य को एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में परिभाषित किया।

डीडवाना प्रांत प्रमुख जयसिंह सागू ने उनके आध्यात्मिक पक्ष को रेखांकित करते हुए बताया कि उन्होंने लगभग 50 वर्ष की उम्र में अपने पारिवारिक और सामाजिक दायित्वों के साथ-साथ योग साधना की ओर कदम बढ़ाया और आत्मज्ञान की चरम अवस्था को प्राप्त किया। यह योगिक जागृति उनके कार्यों में परिलक्षित होती रही, जिससे वे संघ के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गए।

कार्यक्रम में डाबड़ा गांव सहित आसपास के कई क्षेत्रीय कार्यकर्ता व सहयोगी उपस्थित रहे। इनमें रणजीत सिंह, मंगल सिंह, गिरधारी सिंह, मूल सिंह, विक्रम सिंह, गोरधन सिंह, नेहपाल सिंह, भूपेंद्र सिंह, श्रवण सिंह, मनमोहन सिंह, केसर सिंह, गजेंद्र सिंह, सत्यदान सिंह, अभय सिंह, शक्ति सिंह, शुभम सिंह, नटवर सिंह, थान सिंह, लोकेन्द्र सिंह, मयंक राठौड़, दीपेंद्र सिंह, प्रदीप सिंह, विश्वदीप सिंह देवराठी, अजय सिंह देवराठी, डूंगर सिंह सिंघाना व अंकित सिंह जेवलियाबस सहित अन्य गणमान्यजन शामिल रहे।

यह कार्यक्रम केवल श्रद्धांजलि नहीं बल्कि प्रेरणा का संदेश भी बन गया, जिसमें नारायण सिंह रेडा के आदर्शों को आत्मसात कर नई पीढ़ी ने उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।

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