सावन माह में शिवभक्ति की पराकाष्ठा को साकार करते हुए कुचामन सिटी के 12 शिवभक्तों ने वाराणसी से लेकर झारखंड तक की एक अविस्मरणीय आध्यात्मिक यात्रा पूरी की। यह यात्रा वाराणसी के काल भैरव मंदिर और काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन से आरंभ हुई और सुल्तानगंज (बिहार) से पवित्र गंगाजल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम (देवघर, झारखंड) तक 130 किलोमीटर की कठिन पैदल यात्रा के रूप में संपन्न हुई।
यात्रा में शामिल रहे महावीर प्रसाद मूंदड़ा ने बताया कि कावड़ यात्रा से पूर्व कुचामन के सभी कावड़ियों ने वाराणसी पहुंचकर काल भैरव मंदिर और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विधिवत पूजन कर भगवान शिव के दर्शन किए। उन्होंने कहा कि वाराणसी में हुई इस आध्यात्मिक शुरुआत ने यात्रा के संकल्प को और भी अधिक दृढ़ किया। इसके पश्चात कावड़ियों ने बिहार के सुल्तानगंज से पवित्र गंगा जल कावड़ में भरकर झारखंड स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम की यात्रा शुरू की। नीलकंठ कावड़ संघ ग्रुप 2 गोहाटी के तत्वावधान में निकली इस यात्रा में 150 कावड़िए शामिल हुए, जिनमें 138 कावड़िए असम के मारवाड़ी समाज से और 12 कावड़िए कुचामन से थे।

मूंदड़ा ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष लगातार 17वीं बार बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाने का सौभाग्य प्राप्त किया। पांच दिन पैदल यात्रा के बाद छठे दिन सभी कावड़ियों ने बाबा बैद्यनाथ धाम में विधिवत पूजा-अर्चना कर जल समर्पित किया, साथ ही जल का एक लौटा बाबा बासुकिनाथ को भी अर्पित किया गया।
राजकुमार सोढ़ाणी ने बताया कि पूरे रास्ते में “बोल बम” के गगनभेदी जयकारों के बीच थकावट जैसे कहीं खो जाती थी। उन्होंने कहा कि सेवा भाव से जुड़े स्थानीय लोगों द्वारा फल, जल और विश्राम की जो व्यवस्थाएं की गईं, वह अत्यंत सराहनीय रहीं।
अभिमन्यु जोशी ने कहा कि यात्रा के दौरान रात्रि विश्राम स्थलों पर सत्संग, शिव महिमा पर चर्चा और भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया गया, जिसने वातावरण को अत्यंत आध्यात्मिक बना दिया।

हेमंत सैन ने बताया कि सुल्तानगंज से बाबा बैद्यनाथ तक की यह यात्रा विश्व की सबसे बड़ी पैदल कावड़ यात्रा मानी जाती है। सावन माह में प्रतिदिन करीब दो लाख श्रद्धालु इस मार्ग से गुजरते हैं, जबकि सावन सोमवार को यह संख्या चार लाख तक पहुंच जाती है। उन्होंने कहा कि यह यात्रा शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और आत्मिक तपस्या जैसी थी।
कुचामन से शामिल हुए अन्य श्रद्धालुओं में महेश लाहोटी, शैलेश बागड़ा, नेमाराम कड़वा भांवता, शंकरलाल जोशी, पवन मालपानी, बेगाराम मूंड, कैलाश अग्रवाल और कमल कुमार शर्मा प्रमुख रहे।
जब ये शिवभक्त कुचामन लौटे तो रेलवे स्टेशन पर मनोज जोशी, संदीप जोशी, आयुष मूंदड़ा,अयूब शेख सहित अनेक लोगों ने उनका फूलमालाओं से भव्य स्वागत किया।

मनोज जोशी ने इस अवसर पर कहा, “इन कावड़ियों ने ना केवल शिवभक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है, बल्कि कुचामन की धार्मिक पहचान को भी राष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्रदान किया है। यह यात्रा आस्था, अनुशासन और सामूहिक समर्पण की प्रेरणा देती है। हम सभी को इनसे सीख लेकर धार्मिक संस्कारों से जुड़ना चाहिए।”
कुचामन के इन श्रद्धालुओं की इस पावन यात्रा ने न केवल क्षेत्र में उत्साह और गर्व की लहर दौड़ा दी, बल्कि यह भी सिद्ध कर दिया कि सच्ची श्रद्धा से किया गया हर प्रयास फलदायक होता है।