कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ पर डीडवाना में शहीदों को दी श्रद्धांजलि, वीरांगनाओं का हुआ सम्मान

देशभर की तरह डीडवाना में भी शनिवार को करगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ गरिमामय श्रद्धा और देशभक्ति के भाव के साथ मनाई गई। इस अवसर पर जिला सैनिक कल्याण कार्यालय परिसर स्थित शहीद स्मारक पर एक भव्य समारोह आयोजित किया गया, जिसमें करगिल युद्ध में शहीद हुए वीर जवानों को याद कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साथ ही शहीदों की वीरांगनाओं का सम्मान कर उनके त्याग को नमन किया गया।

भारत माता के जयकारों से गूंजा परिसर

कार्यक्रम की शुरुआत भारत माता के जयघोष के साथ हुई, जब शहीद स्मारक पर उपस्थित जनसमूह ने शहीदों को याद किया। 26 जुलाई 1999 को भारत ने करगिल युद्ध में पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए विजय हासिल की थी। करीब 75 दिन तक चले इस युद्ध में 522 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हुए थे। डीडवाना-कुचामन जिले से भी चार जवानों ने इस युद्ध में शहादत दी थी।

जिला कलक्टर और एसपी ने अर्पित की श्रद्धांजलि

जिला कलक्टर डॉ. महेन्द्र खड़गावत ने शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, की “करगिल युद्ध न केवल भारत की सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। हमें अपने शहीदों पर गर्व है जिन्होंने मातृभूमि की रक्षा में प्राणों की आहुति दी।”

पुलिस अधीक्षक ऋचा तोमर (आईपीएस) ने शहीदों को नमन करते हुए कहा, की “देश के लिए बलिदान देने वालों का ऋण हम कभी नहीं चुका सकते। यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखें और युवा पीढ़ी को उनके बलिदान से अवगत कराएं।”

वीरांगनाओं का सम्मान और मार्मिक पल

समारोह में करगिल के शहीदों की वीरांगनाओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। करगिल शहीद मूलाराम की बेटी पूनम ने मंच से अपने भाव साझा करते हुए कहा, “मुझे गर्व है कि मेरे पिता ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए। हर युवा को देशसेवा का जज़्बा अपने भीतर रखना चाहिए। अगर मौका मिले तो हर एक को सेना में जाकर भारत मां की रक्षा करनी चाहिए।”

सैनिकों का सम्मान राष्ट्र का गौरव: कर्नल राजेन्द्र सिंह

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल राजेन्द्र सिंह ने कहा, कि “कारगिल विजय दिवस पर हम उन अमर शहीदों को नमन करते हैं, जिन्होंने देश की रक्षा में अपने प्राणों का बलिदान दिया। सैनिकों का जीवन आसान नहीं होता, लेकिन वे अपने हर कर्तव्य को पूरी निष्ठा और समर्पण से निभाते हैं।” उन्होंने आगे कहा कि ऐसे मौके हमें न केवल शहीदों को याद करने का अवसर देते हैं, बल्कि उनके आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा भी देते हैं।

पूर्व सैन्य अधिकारियों ने साझा किए युद्ध के अनुभव

इस अवसर पर पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर दीप सिंह ने करगिल युद्ध की पृष्ठभूमि और सेना के साहस को रेखांकित करते हुए कहा, कि “26 जुलाई 1999 को हमारे सैनिकों ने दुनिया को दिखा दिया कि भारतीय सेना के हौसले अडिग हैं। हमने युद्ध को कभी प्राथमिकता नहीं दी, लेकिन जब देश की रक्षा की बात आई, तो हर सैनिक ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया।”

वहीं पूर्व सैन्य अधिकारी मेजर मदन सिंह जोधा, जो करगिल युद्ध के साक्षी रहे और शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके परिजनों तक पहुँचाने की कार्रवाई में अहम भूमिका में थे, ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “करगिल युद्ध सिर्फ एक सैन्य संघर्ष नहीं था, यह हमारी अस्मिता की रक्षा का संग्राम था। जब मैं शहीद जवानों के पार्थिव शरीर लेकर उनके घर पहुंचता था, तो हर परिवार के चेहरे पर दर्द के साथ गर्व दिखाई देता था। यही भावना हमें एकजुट रखती है।”

पूर्व सैनिकों की गरिमामयी उपस्थिति

कार्यक्रम में डीडवाना क्षेत्र के अनेकों पूर्व सैनिक, सामाजिक कार्यकर्ता, स्कूली छात्र-छात्राएं तथा आम नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने राष्ट्रगान के साथ शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उनके अदम्य साहस को नमन किया।यह आयोजन ना केवल एक स्मरण था, बल्कि राष्ट्रभक्ति और प्रेरणा का सजीव उदाहरण भी बना। पूरे कार्यक्रम में मंच संचालन कैप्टन ओम प्रकाश ने किया । कार्यक्रन के समापन में।उन्होंने कहा कि डीडवाना की माटी ने वतन की रक्षा के दौरान जिन बेटों को खोया है, उनकी यादें अब हर साल 26 जुलाई को और भी अधिक संकल्प और श्रद्धा के साथ ताजा होती रहेंगी।

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