ग्रामीणों की एकजुटता रंग लाई: जैतपुरा खुर्द को खैरवा पंचायत में बनाए रखने की मांग ने जोर पकड़ी एसडीएम, विधायक और कलक्टर को सौंपा गया ज्ञापन

डेगाना उपखंड के ग्राम जैतपुरा खुर्द के ग्रामीणों ने अपने गांव को ग्राम पंचायत खैरवा में ही बनाए रखने की पुरजोर मांग करते हुए प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपनी बात मजबूती से रखी है। इस मांग को लेकर शुक्रवार को सैकड़ों ग्रामीण एकत्र होकर उपखंड कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने एसडीएम ओमप्रकाश माचरा को संयुक्त हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों ने यह मांग विधायक अजयसिंह किलक और जिला कलेक्टर डॉ. अरुण कुमार पुरोहित तक भी पहुंचाई।

पंचायत पुनर्गठन से ग्रामीणों में रोष
गौरतलब है कि हाल ही में पंचायत पुनर्गठन के तहत जैतपुरा खुर्द को ग्राम पंचायत भादवासी में शामिल कर दिया गया, जिससे ग्रामीणों में भारी असंतोष देखा गया। समाजसेवी भंवरलाल बिश्नोई ने बताया कि जैतपुरा खुर्द ऐतिहासिक रूप से ग्राम पंचायत खैरवा के अंतर्गत आता रहा है। यह गांव न केवल प्रशासनिक रूप से बल्कि सामाजिक, भौगोलिक और आर्थिक रूप से भी खैरवा पंचायत से घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।

भौगोलिक और सामाजिक आधार पर खैरवा से गहराई से जुड़ा है जैतपुरा खुर्द
भंवरलाल बिश्नोई ने आगे बताया कि जैतपुरा खुर्द और जैतपुरा कलां दो ऐसे गांव हैं, जो मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित हैं और व्यावहारिक रूप से एक ही गांव के दो हिस्से माने जाते हैं। दोनों गांवों की गौशाला, उचित मूल्य की दुकान, उप-स्वास्थ्य केंद्र और विद्यालय साझा हैं। पटवार हल्का भी ग्राम खैरवा के अंतर्गत ही आता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से जैतपुरा खुर्द को खैरवा में ही रहना चाहिए।

प्रशासन से न्यायोचित निर्णय की उम्मीद
ज्ञापन देने पहुंचे ग्रामीणों में सोनुसिंह, हनुमानसिंह, मंगलाराम, अन्नाराम, मदनसिंह, खयाराम, रुपसिंह, प्रलादराम, सुगनसिंह, किशनाराम, हनुमानसिंह और छोटूराम सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल थे। सभी ने एक स्वर में कहा कि यदि उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करने को बाध्य होंगे। ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन उनकी मांग पर गंभीरता से विचार करेगा और जैतपुरा खुर्द को फिर से ग्राम पंचायत खैरवा में शामिल किया जाएगा।

एकजुटता की मिसाल बना जैतपुरा खुर्द
इस पूरे घटनाक्रम ने ग्रामीणों की एकता, जागरूकता और अपने हक की लड़ाई को सामने लाकर रख दिया है। जैतपुरा खुर्द के लोग आज न केवल अपने गांव के प्रशासनिक अस्तित्व को बचाने के लिए एकजुट हैं, बल्कि आने वाले समय में वे जनसुनवाई और आंदोलन जैसे लोकतांत्रिक माध्यमों से अपनी बात को और मजबूत तरीके से उठाने को तैयार हैं।

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