केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध और लंबित मांगों को लेकर मंगलवार को भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के कर्मचारियों ने एक दिवसीय हड़ताल की। यह हड़ताल राष्ट्रीय यूनियनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर तथा ऑल इंडिया इंश्योरेंस इंप्लाइज एसोसिएशन के बैनर तले की गई।
कार्यालय बंद, आमजन हुए परेशान
हड़ताल के चलते डीडवाना स्थित एलआईसी कार्यालय के सभी काउंटर बंद रहे, जिससे बीमा संबंधी कार्य पूरी तरह ठप हो गया। कामकाज रुकने के कारण यहां आने वाले ग्राहकों को निराश होकर बिना कार्य कराए लौटना पड़ा।

केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी
हड़ताल के दौरान बीमा कर्मचारियों ने कार्यालय के बाहर एकत्र होकर केंद्र सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया। कर्मचारियों ने सरकार पर जनविरोधी और श्रमविरोधी नीतियों को अपनाने का आरोप लगाया।

निजीकरण और अनदेखी का आरोप
मंडल उपाध्यक्ष एवं शाखा सचिव शंकरलाल वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि बीमा कर्मचारी लंबे समय से अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार एलआईसी का निजीकरण करना चाहती है और नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं कर रही है, जिससे कामकाज पर सीधा असर पड़ रहा है।

केंद्र सरकार को सौंपा गया ज्ञापन
इस अवसर पर बीमा कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा। इसमें निम्न प्रमुख मांगें शामिल रहीं—
- सभी श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए
- बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई के निर्णय को वापस लिया जाए
- बीमा कानून में किसी भी प्रकार का परिवर्तन न किया जाए
- एलआईसी के विनिवेशीकरण (निजीकरण) पर तत्काल रोक लगाई जाए
- बीमा प्रीमियम पर लगने वाला जीएसटी हटाया जाए
- नई भर्ती प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए
- स्थायी कार्यों में ठेका प्रथा समाप्त की जाए
- पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए
- सार्वजनिक क्षेत्र की आम बीमा कंपनियों का विलय किया जाए
संगठनों में भारी रोष
हड़ताल के दौरान बीमा कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने समय रहते उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो आगे भी आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों के खिलाफ सभी श्रमिक संगठन एकजुट होकर संघर्ष कर रहे हैं।

डीडवाना में एलआईसी कर्मचारियों की हड़ताल ने बीमा सेवाओं को ठप कर दिया और केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ गुस्से को सड़कों पर ला दिया। कर्मचारियों ने चेताया है कि यदि मांगे नहीं मानी गईं तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है।