कभी टॉप रैंक पर रहने वाले कुचामन सिटी का, सफाई सर्वेक्षण में 123वीं रैंक आना शर्मनाक – हेमराज चावला

राजस्थान राज्य के हाल ही में जारी सफाई सर्वेक्षण में कुचामन नगर परिषद की 123वीं रैंक आना नगरवासियों और जनप्रतिनिधियों के लिए गहरी चिंता और शर्म का विषय बन गया है। कभी टॉप रैंक हासिल करने वाले कुचामन सिटी का सफाई सर्वेक्षण में फिसड्डी रहने पर नगर परिषद के उपसभापति एवं सफाई समिति अध्यक्ष हेमराज चावला ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इस रैंकिंग को “शर्मनाक और खेदजनक” करार दिया है।

चावला ने जानकारी देते हुए बताया कि कुचामन कस्बे की सफाई व्यवस्था को सुदृढ़ बनाए रखने के लिए नगर परिषद की ओर से न केवल स्थायी सफाईकर्मियों की नियुक्ति की गई है, बल्कि सफाई कार्यों को बेहतर बनाने के लिए तीन अलग-अलग निजी फर्मों को ठेके पर लगाया गया है।

  1. 130 सफाईकर्मियों के साथ एक निजी फर्म को सफाई कार्य का ठेका दिया गया है।
  2. कचरा उठाने हेतु ट्रैक्टर सहित सफाईकर्मियों का अलग से ठेका एक अन्य फर्म को दिया गया है।
  3. घर-घर कचरा संग्रहण के लिए वी-वॉइस कम्पनी को एक और ठेका दिया गया है।

इन सभी व्यवस्थाओं पर नगर परिषद द्वारा प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, बावजूद इसके सफाई व्यवस्था इतनी बदहाल है कि राज्यभर में परिषद की रैंकिंग 123 पर आकर टिक गई।

उपसभापति चावला ने सफाई कार्यों में लापरवाही बरतने वाले स्थायी सफाईकर्मियों, ठेका श्रमिकों और निजी फर्मों पर सीधा सवाल खड़ा करते हुए कहा कि इस लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि संबंधित कार्मिकों और फर्मों को अंतिम चेतावनी नोटिस जारी किए गए हैं, और यदि स्थिति में शीघ्र सुधार नहीं होता है तो नगरहित में कठोर कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने सभापति और आयुक्त से भी इस गंभीर मामले में ध्यान देने की मांग करते हुए सफाई से जुड़ी एजेंसियों और अधिकारियों की जवाबदेही तय करने और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने पर जोर दिया है।

यह सवाल खड़ा करता है कि जब पर्याप्त मानव संसाधन और वित्तीय बजट उपलब्ध है, तो कुचामन जैसे कस्बे की सफाई व्यवस्था इतनी बदहाल कैसे हो सकती है? क्या यह व्यवस्थागत विफलता है या फिर जिम्मेदारों की उदासीनता का परिणाम? आगामी दिनों में नगर परिषद की कार्यप्रणाली और इस मुद्दे पर उठाए गए कदमों को कस्बेवासी बारीकी से देखेंगे।

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