अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन, मकराना का काबिल-ए-तारीफ़ किरदार :: गैसावत और गहलोत खानदानों में सुलह

मकराना की अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन कमेटी ने अहम किरदार अदा करते हुए मकराना के गैसावत और गहलोत ख़ानदानों के दरमियान पैदा हुए तनाज़े को सुलझाने में न सिर्फ पहल की, बल्कि एक अहम और फ़ैसलाकुन रोल अदा किया। जिस दिन आपसी ग़लतफहमी के चलते ये रंजिश शुरू हुई थी, उसी दिन से अंजुमन के ज़िम्मेदार हज़रात ने इस बात का बीड़ा उठा लिया था कि दोनों फरीक़ीन को बाइज्ज़त और पुरअमन तरीके से एक जगह लाया जाए।

लगातार, बातचीत, समझाइश, सब्र और हिकमत के साथ जो कोशिशें की गईं, उन ही की बदौलत आज ये पुराना झगड़ा अपने अंजाम तक पहुँचा और दोनों खानदानों ने गिले-शिकवे भुलाकर नए सफ़्हे की शुरुआत की।

ये सिर्फ एक तनाज़ा खत्म नहीं हुआ, बल्कि बरसों से दिलों में जमा रंजिशों पर मरहम रखा गया। अंजुमन ने अपनी कोशिशों से मकराना को भाईचारे, यकजहती और इंसानी हमदर्दी की बेहतरीन मिसाल पेश की। बेशक ये काम नेकनीयती, खालिस इख़लास और सवाब का है, जो कौम को बेहतरी की तरफ़ ले जाने वाला क़दम है।

इस मामले में मकराना के बुज़ुर्गों, ज़िम्मेदारों और समाजी रहनुमाओं का भी तहेदिल से शुक्रिया अदा करना चाहिए, जिन्होंने हर कदम पर सुलह-सफ़ाई की राह को मज़बूत किया और अपने हुस्न-ए-अख़लाक़ से फ़रीक़ीन के दरमियान नज़दीकियाँ पैदा कीं।

इस मौके पर गैसावत ख़ानदान के ज़ाकिर हुसैन गैसावत ने कहा: “हम तहेदिल से अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन और तमाम उन लोगों के शुक्रगुज़ार हैं जिन्होंने हमें ग़लतफहमियों से निकाल कर एकता की राह पर वापस लाया। आज दिल हल्का भी है और रूह को सकून भी मिला है।”

वहीं गहलोत ख़ानदान से अब्दुल अज़ीज़ गहलोत ने कहा:
“हमने जो बरसों पुरानी तल्ख़ियाँ थीं, उन्हें अब ख़ैरबाद कह दिया है। ये मुमकिन न होता अगर अंजुमन हमारे साथ खड़ी न होती। ये सिर्फ सुलह नहीं, बल्कि इंसानियत की फ़तह है।”

झगड़ा चाहे किसी जानिब से शुरू हुआ हो, मगर अंजुमन ने फिर एक बार ये साबित कर दिया कि जब भी समाज में नफ़रत, नाइत्तेफ़ाक़ी या फसाद की कोई सूरत पैदा होती है, वो हर बार इंसानियत, अमन और मुहब्बत के साथ खड़ी नज़र आती है। गैसावत और गहलोत ख़ानदानों का फिर से मिल बैठना इसी अख़लाक़ी जद्दोजहद और लगातार कोशिशों का नतीजा है।

हमें भी इस वाक़ेए से ये सीख हासिल होती है कि आपसी रंजिशें, अनबन और टकराव किसी भी सूरत में फायदे का सौदा नहीं हैं। ऐसी चीज़ें दिलों को तोड़ती हैं, रिश्तों में दूरियाँ पैदा करती हैं और पूरे समाज को बाँट देती हैं। जबकि असली क़ामयाबी इसी में है कि हम एक-दूसरे से गुफ़्तगू करें, एक-दूसरे को समझें और सब्र से काम लें।

News1Rajasthan .in की पूरी टीम यही दुआ करती है की मकराना हमेशा यूँ ही मुहब्बत, भाईचारे और अमन का गहवारा बना रहे। अल्लाह अंजुमन इस्लाहुल मुस्लेमीन की इन नेक कोशिशों को कबूल फरमाए और कोम को हमेशा सुलह, सहनशीलता और मोहब्बत की राह पर कायम रखे।

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