इस्लाम धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व, ईद-उल-अज़हा (जिसे बकरीद भी कहा जाता है), कुचामन सिटी और इसके आसपास के क्षेत्रों में आगामी 7 जून, शनिवार को पूरे धार्मिक उत्साह, श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह इंसानियत, त्याग और समर्पण का एक जीवंत प्रतीक भी है।
धार्मिक पृष्ठभूमि और महत्व
मदरसा इस्लामिया सोसायटी के सदस्य मईनुद्दीन शेख ने बताया की ईद-उल-अज़हा इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिलहिज्जा की 10 तारीख को मनाया जाता है। यह पर्व उस ऐतिहासिक घटना की याद दिलाता है,

जब पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अल्लाह के हुक्म पर अपने सबसे पुत्र की कुर्बानी देने का निर्णय लिया था। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि जब ईश्वर के हुक्म की बात आती है, तो इंसान को अपने सबसे प्रिय चीज़ की भी कुर्बानी देने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
मदरसा इस्लामिया सोसायटी के सदर मोहम्मद सलीम कुरैशी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस बार जिलहिज्जा का चांद नजर आने के पश्चात पर्व की तिथि निर्धारित की गई है, और 7 जून , शनिवार को ईद-उल-अज़हा पर्व मनाया जाएगा।

सोसायटी के सचिव मोहम्मद इकबाल भाटी और कोषाध्यक्ष इस्माइल शाह ने बताया कि 07 जून, शनिवार को सुबह 7:30 बजे कुचामन शहर के खान मोहल्ला स्थित ईदगाह में इमाम अब्दुल वाहिद नईमी ईद की विशेष नमाज अदा कराएंगे। वहीं बाबा हैदर अली दरगाह मस्जिद में सुबह 7:45 बजे विशेष नमाज अदा की जाएगी।
कुर्बानी का प्रतीक पर्व – समाज के लिए संदेश
सोसायटी के सदर मोहम्मद सलीम कुरैशी ने बताया की ईद-उल-अज़हा केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि यह इंसान के अंदर सच्चे समर्पण, सेवा, और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना को भी जागृत करता है। इस दिन हमें समानता, भाईचारे और मानवता की सीख मिलती हैं।
समाज से अपेक्षा और आह्वान
मदरसा इस्लामिया सोसायटी कुचामन सिटी ने शहरवासियों से अपील की है कि वे पर्व को इस्लामी शिक्षाओं एवं सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप शांति और स्वच्छता से संपन्न करें।
