माह-ए-रमजान की अलविदा जुमा की नमाज अकीदत के साथ अदा
हर मस्जिद नमाजियों से रही गुलजार, अमन-चैन और भाईचारे की मांगी गई दुआएं
मुकद्दस रमजान माह के 27वें रोजे के दिन शुक्रवार को अलविदा जुमा की नमाज पूरे अकीदत और एहतराम के साथ अदा की गई। शहर की तमाम मस्जिदें नमाजियों से खचाखच भरी नजर आईं, जहां रोजेदारों ने अल्लाह के दर पर सजदा कर देश और प्रदेश की खुशहाली, अमन-ओ-अमान और भाईचारे की दुआएं मांगी।

रमजान को नम आंखों से किया विदा
रमजान का आखिरी जुमा होने के कारण नमाजियों में खास जज़्बा देखने को मिला। हर कोई इस मुकद्दस महीने की विदाई से अफसोसजदा नजर आया। रोजेदारों ने नम आंखों से रमजान-उल-मुबारक को रुखसत किया और अल्लाह से दुआ मांगी कि वह आने वाले साल फिर इस पाक महीने की बरकतों और रहमतों से नवाजे।

मस्जिदों में दी गई तकरीरें, जकात और फितरे की अहमियत पर जोर
अलविदा जुमे की नमाज से पहले मस्जिदों के पेश इमाम और आलिमों ने तकरीरें कीं, जिसमें इस्लाम में इंसानियत, भलाई और बेहतर अखलाक के महत्व पर रोशनी डाली गई। उन्होंने नमाजियों से रमजान के दौरान सीखी गई नेक आदतों को जिंदगीभर कायम रखने की हिदायत दी।

इसके साथ ही, ईद की नमाज से पहले फितरा और जकात जरूरतमंदों को अदा करने की ताकीद की गई, ताकि गरीब और असहाय लोग भी ईद की खुशी में शामिल हो सकें। मस्जिदों के इमामों ने बताया कि इस्लाम में संपन्न लोगों के लिए अपनी संपत्ति का ढाई प्रतिशत हिस्सा जकात के रूप में देने का हुक्म है, जिससे माल में बरकत होती है और समाज में आर्थिक संतुलन बना रहता है।

मस्जिदों में उमड़ी भीड़,
शहर की प्रमुख मस्जिदों जैसे मिर्जा मस्जिद,मस्जिद तेलियान,फूल मस्जिद,रहमानिया मस्जिद,मदीना मस्जिद,तकिया मस्जिद, मस्जिद लुहारान, मस्जिद-ए-मेहराब, मुस्तफा मस्जिद और छीपा मस्जिद समेत कई जगहों पर नमाज अदा की गई।
पेश इमामों के संदेश:
मिर्जा मस्जिद के पेश इमाम अब्दुल वाहिद नईमी ने कहा, “आज हमने अलविदा जुमा की नमाज अदा की। इसके मायने हैं कि रमजान हमसे रुखसत हो गया, लेकिन हमें अपने अच्छे आमाल और इबादत को यूं ही जारी रखना चाहिए।”
मस्जिद-ए-मेहराब के इमाम शहाबुद्दीन ने कहा, “रमजान-उल-मुबारक को अलविदा कहना है, लेकिन नमाज और अल्लाह की इबादत को नहीं छोड़ना चाहिए।”

मुस्तफा मस्जिद के इमाम शमसुद्दीन और छीपा मस्जिद के इमाम मौलाना साबिर हुसैन ने भी जकात और फितरे की अहमियत पर जोर दिया और रमजान के खत्म होने के बाद भी नेकियों को जारी रखने की नसीहत दी।
अलविदा जुमा के बाद मस्जिदों में पढ़ा सलाम
नमाज के बाद मस्जिदों में सलाम पढ़ा गया और रोजेदारों ने एक-दूसरे को रमजान की विदाई पर गले मिलकर मुबारकबाद दी।
रमजान का आखिरी जुमा – इबादत का आखिरी मौका
रमजान का आखिरी जुमा हर मुसलमान के लिए खास होता है, क्योंकि यह माह-ए-रमजान की रहमतों, बरकतों और मगफिरत का आखिरी बड़ा मौका होता है। इसी एहसास के साथ हजारों नमाजी अलविदा जुमा की नमाज अदा करने पहुंचे और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी, रहमत और हिदायत की दुआ की।

अल्लाह से दुआ – अगले साल फिर मिले रमजान की नेमतें
रोजेदारों ने हाथ उठाकर दुआ मांगी कि अल्लाह इस पाक महीने को फिर से नसीब करे, ताकि हम अगले साल भी उसकी रहमतों और बरकतों से महरूम न रहें।
